Himanshu Pathak 
Mai jab-jab dekhata hun chand ko. [EPUB ebook] 
Ki in aankhon me , Maine chand ko apne basaya hai.

الدعم

About the book:
नमस्कार मेरे प्रिय पाठकों, आशा करता हूँ कि मेरी ये रचना, ‘मैं जब-जब देखता हूँ चाँद को।’ आपको पसंद आएगी । आपका स्नेह ऐसे ही बना रहें । पाठकों मेरी ये पुस्तक श्रृंगार रस पर आधारित है, जिसमें अट्ठारह कविताएं हैं, जो आपको हँसाएंगी भी और गुदगुदायेंगी भी। कुछ रचनाएँ हो सकता है कि रूलाएँ भी; परन्तु क्या करें, ये प्रेम है ही ऐसा, जिसमें मिलन भी है और विरह भी; जहाँ एक ओर मिलन की प्रसन्नता है , वही दूसरी ओर विरह की वेदना भी । कुल मिलाकर , मेरी ये पुस्तक आपको ले जायेगी अतीत के पथ पर जहाँ , खुशियों के रंग-बिरंगे पुष्प खिले होंगे, जिनकी खुशबु मे सरोबार हो आप प्रफुल्लित होंगे, ऐसा मेरा विश्वास है। आप यथार्थ की तपिश धूप भरे, कठोर दुनियाँ से निकल , कल्पना की उस दुनिया में पहुँच जायेंगे, जहाँ आपको मिलेगा सिर्फ प्यार, प्यार और प्यार। इस पुस्तक के माध्यम से, मैं आपके जीवन में, खुशियों के रंग भरे भर सकूँ।

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لغة الهندية ● شكل EPUB ● صفحات 26 ● ISBN 9789355591838 ● الناشر PublishDrive ● نشرت 2021 ● للتحميل 3 مرات ● دقة EUR ● هوية شخصية 8239676 ● حماية النسخ Adobe DRM
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