M. Asaduddin is a renowned author, critic and translator. His work has been recognized with the Sahitya Akademi Prize, and the Katha and A.K. Ramanujan awards for translation. Most recently, his translation of Ismat Chughtai“s A Life in Words:Memoirs, published in Penguin Classics, won The Economist Crossword Book Award 2013 for Best Indian Language Translation.
65 Ebooks von PREMCHAND
Premchand: Premchand – Poos Ki Raat
गरीब और ग्रामीण भारत को जितना अच्छा प्रेमचंद ने अपने शब्दों में व्यक्त किया है, हिंदी जगत में उसका कोई दूसरा उदाहरण मिलना नामुमकीन है. गांव के व्यक्ति की खुशियों और व्यथाओं का प्रेमचंद जितना मार्मिक …
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Premchand: Winter’s Night and Other Stories
Ten classic stories from the master of Hindi literature Nearly a century after they were written, Premchand s numerous short stories, novels and plays, written both in Hindi and Urdu, continue to be …
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Premchand: Festival of Eid
A delectable offering of the best stories written by master storytellers, including Ruskin Bond, Anita Desai, Satyajit Ray, R.K. Narayan, Salman Rushdie and Vikram Seth, to name a few. Each story rep …
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Premchand: Stories on Women
MUNSHI PREMCHAND is one of the most important writers of the Hindi-Urdu canon. His prolif ic writing contributed largely to shape the genre of the short story as we know it in India. His range and di …
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Premchand: Stories on Caste
MUNSHI PREMCHAND is one of the most important writers of the Hindi-Urdu canon. His prolif ic writing contributed largely to shape the genre of the short story as we know it in India. His range and di …
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Premchand: Stories on Animals
MUNSHI PREMCHAND is one of the most important writers of the Hindi-Urdu canon. His prolif ic writing contributed largely to shape the genre of the short story as we know it in India. His range and di …
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Premchand: Stories on the Village
MUNSHI PREMCHAND is one of the most important writers of the Hindi-Urdu canon. His prolif ic writing contributed largely to shape the genre of the short story as we know it in India. His range and di …
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Premchand: Stories on the City
MUNSHI PREMCHAND is one of the most important writers of the Hindi-Urdu canon. His prolif ic writing contributed largely to shape the genre of the short story as we know it in India. His range and di …
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Premchand: Mansarovar – Part 1 with Audio
आप इस पुस्तक को पढ़ और सुन सकते हैं। ————————————- मानसरोवर – भाग 1 अलग्योझा ईदगाह माँ बेटोंवाली विधवा बड़े भाई साहब शांति नशा स्वामिनी ठाकुर का कुआँ घर जमाई पूस की रात झाँकी …
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Premchand: Mansarovar – Part 2 with Audio
आप इस पुस्तक को पढ़ और सुन सकते हैं। ————————————- मानसरोवर – भाग 2 कुसुम खुदाई फौजदार वेश्या चमत्कार मोटर के छींटे कैदी मिस पद्मा विद्रोही कुत्सा दो बैलों की कथा रियासत का दी …
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Premchand: Mansarovar – Part 3 with Audio
आप इस पुस्तक को पढ़ और सुन सकते हैं। ————————————- मानसरोवर – भाग 3 विश्वास नरक का मार्ग स्त्री और पुरुष उध्दार निर्वासन नैराश्य लीला कौशल स्वर्ग की देवी आधार एक आँच की कसर म …
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Premchand: Mansarovar – Part 4 with Audio
आप इस पुस्तक को पढ़ और सुन सकते हैं। ————————————- मानसरोवर – भाग 4 प्रेरणा सद्गति तगादा दो कब्रें ढपोरसंख डिमॉन्सट्रेशन दारोगाजी अभिलाषा खुचड़ आगा-पीछा प्रेम का उदय सती मृतक-भ …
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Premchand: Mansarovar – Part 5 with Audio
आप इस पुस्तक को पढ़ और सुन सकते हैं। ————————————- मानसरोवर – भाग 5 मंदिर निमंत्रण रामलीला कामना तरु हिंसा परम धर्म बहिष्कार चोरी लांछन सती कजाकी आसुँओं की होली अग्नि-समाधि सु …
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Premchand: Mansarovar – Part 6 with Audio
आप इस पुस्तक को पढ़ और सुन सकते हैं। ————————————- मानसरोवर – भाग 6 यह मेरी मातृभूमि है राजा हरदौल त्यागी का प्रेम रानी सारन्धा शाप मर्यादा की वेदी मृत्यु के पीछे पाप का अग्नि …
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Premchand: Mansarovar – Part 8 with Audio
आप इस पुस्तक को पढ़ और सुन सकते हैं। ————————————- मानसरोवर – भाग 8 खून सफेद गरीब की हाय बेटी का धन धर्मसंकट सेवा-मार्ग शिकारी राजकुमार बलिदान बोध सच्चाई का उपहार ज्वालामुखी प …
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Premchand: Gaban with Audio
आप इस पुस्तक को पढ़ और सुन सकते हैं। ————————————- बरसात के दिन हैं, सावन का महीना । आकाश में सुनहरी घटाएँ छाई हुई हैं । रह – रहकर रिमझिम वर्षा होने लगती है । अभी तीसरा पहर है …
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Premchand: Nirmala with Audio
आप इस पुस्तक को पढ़ और सुन सकते हैं। ————————————- यों तो बाबू उदयभानुलाल के परिवार में बीसों ही प्राणी थे, कोई ममेरा भाई था, कोई फुफेरा, कोई भांजा था, कोई भतीजा, लेकिन यहां ह …
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Premchand: Pratigya with Audio
आप इस पुस्तक को पढ़ और सुन सकते हैं। ————————————- लाला बदरीप्रसाद की सज्जनता प्रसिद्ध थी। उनसे ठग कर तो कोई एक पैसा भी न ले सकता था, पर धर्म के विषय में वह बड़े ही उदार थे। स …
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Premchand: Mansarovar – Part 7 with Audio
आप इस पुस्तक को पढ़ और सुन सकते हैं। ————————————- मानसरोवर – भाग 7 जेल पत्नी से पति शराब की दुकान जुलूस मैकू समर-यात्रा शान्ति बैंक का दिवाला आत्माराम दुर्गा का मन्दिर बड़े घ …
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Premchand: Shatranj Ke Khiladi Aur Satyagrah
वाजिदअली शाह का समय था। लखनऊ विलासिता के रंग में डूबा हुआ था। छोटे-बड़े, गरीब-अमीर सभी विलासिता में डूबे हुए थे। कोई नृत्य और गान की मजलिस सजाता था, तो कोई अफीम की पीनक ही में मजे लेता था। जीवन के प्र …
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Premchand: Sajjanta Ka Dand Aur Gupt Dhan
साधारण मनुष्य की तरह शाहजहाँपुर के डिस्ट्रिक्ट इंजीनियर सरदार शिवसिंह में भी भलाइयाँ और बुराइयाँ दोनों ही वर्तमान थीं। भलाई यह थी कि उनके यहाँ न्याय और दया में कोई अंतर न था। बुराई यह थी कि वे सर्वथा …
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Premchand: Sawa Ser Gehun Aur Prerna
किसी गाँव में शंकर नाम का एक कुरमी किसान रहता था। सीधा-सादा गरीब आदमी था, अपने काम-से-काम, न किसी के लेने में, न किसी के देने में। छक्का-पंजा न जानता था, छल-प्रपंच की उसे छूत भी न लगी थी, ठगे जाने की …
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Premchand: Bade Ghar Ki Beti Aur Beti Ka Dhan
बेनीमाधव सिंह गौरीपुर गाँव के जमींदार और नम्बरदार थे। उनके पितामह किसी समय बड़े धन-धान्य संपन्न थे। गाँव का पक्का तालाब और मंदिर जिनकी अब मरम्मत भी मुश्किल थी, उन्हीं की कीर्ति-स्तंभ थे। कहते हैं, इस …
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Premchand: Do Sakhiyan Aur Prem Ka Uday
जब से यहाँ आयी हूँ, तुम्हारी याद सताती रहती है। काश! तुम कुछ दिनों के लिए यहाँ चली आतीं, तो कितनी बहार रहती। मैं तुम्हें अपने विनोद से मिलाती। क्या यह सम्भव नहीं है ? तुम्हारे माता-पिता क्या तुम्हें …
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Premchand: Thakur Ka Kuan Aur Poos Ki Raat
जोखू ने लोटा मुँह से लगाया तो पानी में सख्त बदबू आयी । गंगी से बोला- यह कैसा पानी है ? मारे बास के पिया नहीं जाता । गला सूखा जा रहा है और तू सड़ा पानी पिलाये देती है ! गंगी प्रतिदिन शाम पानी भर लिया क …
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Premchand: Doodh ka Daam Aur Do Bailon ki Katha
इस कहानी में लेखक ने मनुष्य तथा पशु के भावनात्मक सम्बन्धों को हीरा और मोती दो बैलों के माध्यम से व्यक्त किया है. Das E-Book Doodh ka Daam Aur Do Bailon ki Katha wird angeboten von Sai e Publicat …
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Premchand: Kafan
झोपड़े के द्वार पर बाप और बेटा दोनों एक बुझे हुए अलाव के सामने चुपचाप बैठे हुए हैं और अन्दर बेटे की जवान बीबी बुधिया प्रसव-वेदना में पछाड़ खा रही थी। रह-रहकर उसके मुँह से ऐसी दिल हिला देने वाली आवाज़ …
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Premchand: Rangbhumi
शहर अमीरों के रहने और क्रय-विक्रय का स्थान है। उसके बाहर की भूमि उनके मनोरंजन और विनोद की जगह है। उसके मध्य भाग में उनके लड़कों की पाठशालाएँ और उनके मुकद़मेबाजी के अखाड़े होते हैं, जहाँ न्याय के बहा …
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Premchand: Prema
संध्या का समय है, डूबने वाले सूर्य की सुनहरी किरणें रंगीन शीशो की आड़ से, एक अंग्रेजी ढंग पर सजे हुए कमरे में झॉँक रही हैं जिससे सारा कमरा रंगीन हो रहा है। अंग्रेजी ढ़ंग की मनोहर तसवीरें, जो दीवारों …
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Premchand: Karmabhumi
हमारे स्कूलों और कॉलेजों में जिस तत्परता से फीस वसूल की जाती है, शायद मालगुजारी भी उतनी सख्ती से नहीं वसूल की जाती। महीने में एक दिन नियत कर दिया जाता है। उस दिन फीस का दाखिला होना अनिवार्य है। या तो …
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Premchand: Sangram
सबलसिंह अपने सजे हुए दीवानखाने में उदास बैठे हैं। हाथ में एक समाचार-पत्र है, पर उनकी आंखें दरवाजे के सामने बाग की तरफ लगी हुई हैं। सबलसिंह : (आप-ही-आप) देहात में पंचायतों का होना जरूरी है। सरका …
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Premchand: Godaan
होरीराम ने दोनों बैलों को सानी-पानी दे कर अपनी स्त्री धनिया से कहा – गोबर को ऊख गोड़ने भेज देना। मैं न जाने कब लौटूँ। जरा मेरी लाठी दे दे। धनिया के दोनों हाथ गोबर से भरे थे। उपले पाथ कर आई थी। बोली – …
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Premchand: Manorama
मनोरमा‘ – प्रेमचंद जी द्वारा रचित एक सामाजिक उपन्यास है प्रेमचंद जी ने अपने इस उपन्यास से तत्कालीन सामाजिक व्यवस्था का संपूर्ण सजीव चित्र अंकित किया है। इसी के साथ प्रेमचंद जी ने उस समय चल रहे नारी क …
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Premchand: Gaban
गबन‘ – प्रेमचंद जी का लिखा हुआ उपन्यास है। जिसमें प्रेमचंद जी ने एक बेहद विशेष चिंताकुल विषय को संबोधित किया है। यह विषय है पति के जीवन पर पत्नी का गहनों के लिए अपने प्यार के कारण पड़ने वाले प्रभाव क …
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Premchand: Nirmala
‘निर्मला’ – प्रेमचंद जी द्वारा लिखा हुआ महान उपन्यास है। जिसमें प्रेमचंद जी ने भारत की मध्यवर्गीय महिलाओं की दयनीय हालत और अनमेल विवाह और दहेज प्रथा से पड़ने वाले बुरे प्रभाव की दुखद कहानी को कहा है। …
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Premchand: Pratigya
‘प्रतिज्ञा’ – प्रेमचंद द्वारा रचित उपन्यास है। जिसमें प्रेमचंद ने भारतीय नारी के जीवन की गहराईयों में जाकर उनके हर विषम से विषम परिस्थितयों में घुट-घुट कर जीने के साथ-साथ भारतीय नारी की विवशताओं और उ …
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Premchand: Vardaan
वरदान‘ – प्रेमचंद द्वारा लिखी एक प्रेम कथा है। प्रेमचंद जी ने अपने इस उपन्यास में दो प्रेमियों की दुखांत कथा है और उन दो प्रेमियों के माध्यम से प्रेम की सही परिभाषा को जाहिर किया है। साथ ही प्रेम के …
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Premchand: Premchand Ki Vikhyat Kahaniya
और अब एक बड़ी विचित्र बात हुई। हामिद के इस चिमटे से भी विचित्र। बच्चे हामिद ने बूढ़े हामिद का पार्ट खेला था। बुढ़िया अमीना बालिका अमीना बन गयी। वह रोने लगी। दामन फैलाकर हामिद को दुआएं देती जाती थी और …
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Premchand: Mansarovar Part – 2: Do Bailon ki Katha Tatha Anya Kahaniyan
प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई, 1880 को वाराणसी के निकट लम्ही ग्राम में हुआ था। उनके पिता अजायब राय पोस्ट ऑफिस में क्लर्क थे। वे अजायब राय व आनन्दी देवी की चौथी संतान थे। पहली दो लड़कियाँ बचपन में ही चल बस …
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Premchand: Mansarovar Part – 3: Shatranj Ke Khiladi Tatha Anya Kahaniyan
प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई, 1880 को वाराणसी के निकट लम्ही ग्राम में हुआ था। उनके पिता अजायब राय पोस्ट ऑफिस में क्लर्क थे। वे अजायब राय व आनन्दी देवी की चौथी संतान थे। पहली दो लड़कियाँ बचपन में ही चल बस …
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Premchand: Mansarovar Part – 5: Actress Tatha Anya Kahaniyan
प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई, 1880 को वाराणसी के निकट लम्ही ग्राम में हुआ था। उनके पिता अजायब राय पोस्ट ऑफिस में क्लर्क थे। वे अजायब राय व आनन्दी देवी की चौथी संतान थे। पहली दो लड़कियाँ बचपन में ही चल बस …
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Premchand: Mansarovar Part – 7: Bade Ghar Ki Beti Tatha Anya Kahaniyan
प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई, 1880 को वाराणसी के निकट लम्ही ग्राम में हुआ था। उनके पिता अजायब राय पोस्ट ऑफिस में क्लर्क थे। वे अजायब राय व आनन्दी देवी की चौथी संतान थे। पहली दो लड़कियाँ बचपन में ही चल बस …
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Premchand: Godan
“लेकिन घर आकर उसने ज्योंही वह प्रस्ताव किया कि कुहराम मच गया । धनिया तो कम चिल्लाई, दोनों लड़कियों ने तो दुनिया सिर पर उठा ली । नहीं देते अपनी गाय, रुपये जहाँ से चाहो लाओ । सोना ने तो यहाँ तक कह डाला, …
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Premchand: Gaban
प्रेमचंद के कथा साहित्य की एक खास विशेषता यह है कि वो किसी पारिवारिक कथानक को आधार बनाकर तत्कालीन औपनिवेशिक शासन की क्रूरता व भ्रष्टाचार के प्रति जनता को जागरूक करने का काम करते हैं। उनके उपन्यासों म …
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Premchand: Vardaan
विरजन ने पूछा- तुम मुझसे क्यों रुष्ट हो? मैंने कोई अपराध किया है? प्रताप- न जाने क्यों अब तुम्हें देखता हूं, तो जी चाहता है कि कहीं चला जाऊं। विरजन- क्या तुमको मेरी तनिक भी मोह नहीं लगती? मैं दिन-भर …
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Premchand: Ahankar
“लेकिन घर आकर उसने ज्योंही वह प्रस्ताव किया कि कुहराम मच गया । धनिया तो कम चिल्लाई, दोनों लड़कियों ने तो दुनिया सिर पर उठा ली । नहीं देते अपनी गाय, रुपये जहाँ से चाहो लाओ । सोना ने तो यहाँ तक कह डाला, …
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Premchand: Manasarovar – 1
बहुमुखी प्रतिभा संपन्न प्रेमचंद ने उपन्यास, कहानी, नाटक, समीक्षा, लेख, सम्पादकीय, संस्मरण आदि अनेक विधाओं में साहित्य की सृष्टि की। उनकी ख्याति कथाकार के तौर पर हुई और अपने जीवन काल में ही वे ‘उपन्या …
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Premchand: Manasarovar – 2
बहुमुखी प्रतिभा संपन्न प्रेमचंद ने उपन्यास, कहानी, नाटक, समीक्षा, लेख, सम्पादकीय, संस्मरण आदि अनेक विधाओं में साहित्य की सृष्टि की। उनकी ख्याति कथाकार के तौर पर हुई और अपने जीवन काल में ही वे ‘उपन्या …
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Premchand: Manasarovar – 3
बहुमुखी प्रतिभा संपन्न प्रेमचंद ने उपन्यास, कहानी, नाटक, समीक्षा, लेख, सम्पादकीय, संस्मरण आदि अनेक विधाओं में साहित्य की सृष्टि की। उनकी ख्याति कथाकार के तौर पर हुई और अपने जीवन काल में ही वे ‘उपन्या …
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Premchand: Manasarovar – 4
बहुमुखी प्रतिभा संपन्न प्रेमचंद ने उपन्यास, कहानी, नाटक, समीक्षा, लेख, सम्पादकीय, संस्मरण आदि अनेक विधाओं में साहित्य की सृष्टि की। उनकी ख्याति कथाकार के तौर पर हुई और अपने जीवन काल में ही वे ‘उपन्या …
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Premchand: Manasarovar – 5
बहुमुखी प्रतिभा संपन्न प्रेमचंद ने उपन्यास, कहानी, नाटक, समीक्षा, लेख, सम्पादकीय, संस्मरण आदि अनेक विधाओं में साहित्य की सृष्टि की। उनकी ख्याति कथाकार के तौर पर हुई और अपने जीवन काल में ही वे ‘उपन्या …
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Premchand: Manasarovar – 6
बहुमुखी प्रतिभा संपन्न प्रेमचंद ने उपन्यास, कहानी, नाटक, समीक्षा, लेख, सम्पादकीय, संस्मरण आदि अनेक विधाओं में साहित्य की सृष्टि की। उनकी ख्याति कथाकार के तौर पर हुई और अपने जीवन काल में ही वे ‘उपन्या …
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Premchand: Manasarovar – 7
बहुमुखी प्रतिभा संपन्न प्रेमचंद ने उपन्यास, कहानी, नाटक, समीक्षा, लेख, सम्पादकीय, संस्मरण आदि अनेक विधाओं में साहित्य की सृष्टि की। उनकी ख्याति कथाकार के तौर पर हुई और अपने जीवन काल में ही वे ‘उपन्या …
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Premchand: Manasarovar – 8
बहुमुखी प्रतिभा संपन्न प्रेमचंद ने उपन्यास, कहानी, नाटक, समीक्षा, लेख, सम्पादकीय, संस्मरण आदि अनेक विधाओं में साहित्य की सृष्टि की। उनकी ख्याति कथाकार के तौर पर हुई और अपने जीवन काल में ही वे ‘उपन्या …
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Premchand: Prema
क्या ताकती हो, प्रेमा? मैं ऐसा मुर्ख नहीं हूँ, जैसा तुम समझती हो। मैंने भी आदमी देखें हैं और मैं भी आदमी पहचानता हूँ। मैं तुम्हारी एक-एक बात को गौर से देखता हूँ मगर जितना ही देखता हूँ उतना ही चित्त क …
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Premchand: Alankar
रेमचंद के साहित्यिक जीवन का आरंभ १९०१ से हुआ थ | आरंभ में वे नवाब राय के नाम से उर्दू में लिखते थे। प्रेमचंद के लेख पहली रचना के अनुसार उनकी पहली रचना अपने मामा पर लिखा व्यंग्य थी, जो अब अनुपलब्ध …
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Premchand: Karmabhoomi
कर्मभूमि‘ – प्रेमचंद जी द्वारा रचित एक राजनीतिक उपन्यास है प्रेमचंद जी ने अपने इस उपन्यास में कुछ परिवारों के माध्यम से देश की राजनीतिक समस्याओं को प्रस्तुत किया है। प्रेमचंद जी ने अपने इस उपन्यास मे …
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Premchand: Godaan
गोदान‘ – प्रेमचंद जी का लिखा हुआ उपन्यास है। प्रेमचंद ने अपने इस उपन्यास में भारतीय किसान के सम्पूर्ण जीवन का जीता जागता चित्र प्रस्तुत किया है। प्रेमचंद के लिखे इस साहित्य में गांधीवाद से मोहभंग साफ …
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Premchand: Prema
‘प्रेमा’ – प्रेमचंद जी द्वारा रचित उपन्यास है। जिसमें प्रेमचंद जी ने अपने इस उपन्यास में विधवा विवाह की ओर ध्यान केंद्रित किया हुआ है। इसी के साथ भविष्य में होने वाली दिशा का अनुभव करवाकर संकेत दिया …
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Premchand: Mangalsutra
‘मंगलसूत्र’ – प्रेमचंद द्वारा रचित अपूर्ण और साहित्यिक जीवन पर आधारित उपन्यास है। प्रेमचंद जी की लिखी यह आखिरी उपन्यास है, जिसे वो पूरा नहीं कर सके। इस उपन्यास में प्रेमचंद जी ने इस उपन्यास की पात्र …
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Premchand: Rangbhoomi
रंगभूमि‘ – प्रेमचंद जी का लिखा हुआ उपन्यास है। अपने इस उपन्यास में प्रेमचंद जी ने नौकरशाही तथा पूंजीवाद के साथ हुआ जन संघर्ष का तांडव सत्य निष्ठा और अहिंसा के प्रति आग्रह ग्रामीण जीवन तथा स्त्रियों क …
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Premchand: Sangram
मुंशी प्रेमचंद ने इस नाटक में किसानों के संघर्ष का सजीव चित्रण किया है। इस नाटक में लेखक ने पाठकों का ध्यान किसान की उन कुरीतियों और फिजूल-खर्चियों की ओर दिलाने की कोशिश की है जिसके कारण वह सदा कर्जे …
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Premchand: Srishti
प्रेमचंद के साहित्यिक जीवन का आरंभ १९०१ से हुआ थ | आरंभ में वे नवाब राय के नाम से उर्दू में लिखते थे। प्रेमचंद के लेख पहली रचना के अनुसार उनकी पहली रचना अपने मामा पर लिखा व्यंग्य थी, जो अब अनुपलब् …
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Premchand: Rasik Sampadak
Rasik Sampadak is a classic hindi story written by Munshi Premchand, one of the stalwarts of Hindi literature, The book beautifully captures the nature of Men and how they act when things dont go the …
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Premchand: Karbala
At a time when communal antagonism was at its peak (1920s), Premchand was perceptive enough to fathom the cause for religious intolerance being rooted in mutual ignorance of communities about each ot …
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