‘कहते हैं जिसने प्रेमचंद नहीं पढ़ा उसने हिन्दुस्तान नहीं पढ़ा।
प्रेमचंद ने 14 उपन्यास व 300 से अधिक कहानियाँ लिखीं। उन्होंने अपनी सम्पूर्ण कहानियों को ‘मानसरोवर’ में संजोकर प्रस्तुत किया है। इनमें से अनेक कहानियाँ देश-भर के पाठ्यक्रमों में समाविष्ट हुई हैं, कई पर नाटक व फ़िल्में बनी हैं जब कि कई का भारतीय व विश्व की अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ है।
अपने समय और समाज का ऐतिहासिक संदर्भ तो जैसे प्रेमचंद की कहानियों को समस्त भारतीय साहित्य में अमर बना देता है। उनकी कहानियों में अनेक मनोवैज्ञानिक बारीक़ियाँ भी देखने को मिलती हैं। विषय को विस्तार देना व पात्रों के बीच में संवाद उनकी पकड़ को दर्शाते हैं। ये कहानियाँ न केवल पाठकों का मनोरंजन करती हैं बल्कि उत्कृष्ट साहित्य समझने की दृष्टि भी प्रदान करती हैं।
ईदगाह, नमक का दारोगा, पूस की रात, कफ़न, शतरंज के खिलाड़ी, पंच-परमेश्वर, आदि अनेक ऐसी कहानियाँ हैं जिन्हें पाठक कभी नहीं भूल पाएँगे।
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Table des matières
प्रेमचंद-जीवन परिचय
पंच-परमेश्वर
बड़े घर की बेटी
कजाकी
शतरंज के खिलाड़ी
बूढ़ी काकी
नशा
सज्जनता का दंड
आत्माराम
घासवाली
पिसनहारी का कुआँ
अलग्योझा
लाग-डाट
परीक्षा
क्रिकेट मैच
भाड़े का टट्टू
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