द्विभाषी महापुरूष श्रृंखला में #653H: यह पुस्तक हिंदी और मैथिली (तिरहुत/मिथिलाक्षर लिपि) दोनों में है। गंगेश के पिता उसे स्कूल भेजते हैं जब उसके रिश्तेदार उसे मूर्ख होने के लिए चिढ़ाते हैं। लेकिन उसके शिक्षक को जल्द ही पता चलता है कि लोग जितना श्रेय देते हैं, उससे कहीं अधिक स्मार्ट गंगाजी हैं। तो वह हमेशा ऐसी मूर्खतापूर्ण बातें क्यों करता है? वह स्कूल में क्या सीखेगा जो उसे एक महान दार्शनिक गुरु में बदल देगा?
यह ISBN 978-1-922758-96-5 का हिंदी और मैथिली (तिरहुत/मिथिलाक्षर लिपि) प्रिंट संस्करण है।
Additional Credits:
Hindi Translator: Nivedita Kumari
Nivedita Kumari is a native speaker of Maithili who is interested in Languages, cultures and stories. She has taught English to Japanese and Thai students for ten years.
About the author
Manorama Jha is an economics teacher at Damodar Valley Corporation (Maithon Dam), the General Secretary in Sakhi Bahinpa Maithilani Samooh, a well-known poetess in both the Hindi and Maithili languages, Mithilakshar trainer and social worker, and a frequent writer in magazines.