झोपड़े के द्वार पर बाप और बेटा दोनों एक बुझे हुए अलाव के सामने चुपचाप बैठे हुए हैं और अन्दर बेटे की जवान बीबी बुधिया प्रसव-वेदना में पछाड़ खा रही थी। रह-रहकर उसके मुँह से ऐसी दिल हिला देने वाली आवाज़ निकलती थी, कि दोनों कलेजा थाम लेते थे। जाड़ों की रात थी, प्रकृति सन्नाटे में डूबी हुई, सारा गाँव अन्धकार में लय हो गया था।
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Taal Hindi ● Formaat EPUB ● Pagina’s 16 ● ISBN 9781329908949 ● Bestandsgrootte 0.4 MB ● Uitgeverij Sai ePublications ● Gepubliceerd 2017 ● Downloadbare 24 maanden ● Valuta EUR ● ID 5317240 ● Kopieerbeveiliging zonder