Premchand 
Pratigya with Audio [EPUB ebook] 

Ondersteuning

आप इस पुस्तक को पढ़ और सुन सकते हैं।
————————————-

लाला बदरीप्रसाद की सज्जनता प्रसिद्ध थी। उनसे ठग कर तो कोई एक पैसा भी न ले सकता था, पर धर्म के विषय में वह बड़े ही उदार थे। स्वार्थियों से वह कोसों भागते थे, पर दीनों की सहायता करने में भी न चूकते थे। फिर पूर्णा तो उनकी पड़ोसिन ही नहीं, ब्राह्मणी थी। उस पर उनकी पुत्री की सहेली। उसकी सहायता वह क्यों न करते? पूर्णा के पास हल्के दामों के दो-चार गहनों के सिवा और क्या था। षोडसी के दिन उसने वे सब गहने ला कर लाला जी के सामने रख दिए, और सजल नेत्रों से बोली – ‘मैं अब इन्हें रख कर क्या करूँगी।’

बदरीप्रसाद ने करुण-कोमल स्वर में कहा – ‘मैं इन्हें ले कर क्या करूँगा, बेटी? तुम यह न समझो कि मैं धर्म या पुण्य समझ कर यह काम कर रहा हूँ। यह मेरा कर्तव्य है। इन गहनों को अपने पास रखो। कौन जाने किस वक्त इनकी जरूरत पड़े। जब तक मैं जीता हूँ, तुम्हें अपनी बेटी समझता रहूँगा। तुम्हें कोई तकलीफ न होगी।’

€2.99
Betalingsmethoden
Koop dit e-boek en ontvang er nog 1 GRATIS!
Taal Hindi ● Formaat EPUB ● Pagina’s 99 ● ISBN 9781329909076 ● Bestandsgrootte 60.2 MB ● Uitgeverij Sai ePublications ● Land US ● Gepubliceerd 2017 ● Downloadbare 24 maanden ● Valuta EUR ● ID 5317244 ● Kopieerbeveiliging Adobe DRM
Vereist een DRM-compatibele e-boeklezer

Meer e-boeken van dezelfde auteur (s) / Editor

769.864 E-boeken in deze categorie