जिसे लोग सूरदास कहते हैं। भारतवर्ष में अंधे आदमियों के लिए न नाम की जरूरत होती है, न काम की। सूरदास उनका बना-बनाया नाम है और भीख माँगना बना-बनाया काम है। उनके गुण और स्वभाव भी जगत्- प्रसिद्ध हैं- गाने-बजाने में विशेष रुचि, हृदय में विशेष अनुराग, अध्यात्म और भक्ति में विशेष प्रेम, उनके स्वाभाविक लक्षण हैं। बाह्य दृष्टि बंद और अंतर्दृष्टि खुली हुई।
सूरदास एक बहुत ही क्षीणकाय, दुर्बल और सरल व्यक्ति था। उसे देव ने कदाचित् भीख माँगने ही के लिए बनाया था। वह नित्यप्रति लाठी टेकता हुआ पक्की सड़क पर आ बैठता और राहगीरों की जान की खैर मनाता। ‘दाता! भगवान् तुम्हारा कल्यान करें’- यही उसकी टेक थी और इसी को वह बार-बार दुहराता था। कदाचित् वह इसे लोगों की दया-प्रेरणा का मंत्र समझता था। पैदल चलने वालों को वह अपनी जगह पर बैठे-बैठे दुआएँ देता था। लेकिन जब कोई इक्का आ निकलता, तो वह उसके पीछे दौड़ने लगता और बग्घियों के साथ तो उसके पैरों में पर लग जाते थे। किंतु हवा-गाड़ियों को वह अपनी शुभेच्छाओं से परे समझता था। अनुभव ने उसे शिक्षा दी थी कि हवागाड़ियाँ किसी की बातें नहीं सुनती। प्रात:काल से संध्या तक उसका समय शुभकामनाओं ही में कटता था। यहाँ तक कि माघ-पूस की बदली और वायु तथा जेठ-वैशाख की लू-लपट में भी उसे नागा न होता था।
–इसी पुस्तक से
Premchand
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Język Angielski ● Format EPUB ● Strony 687 ● ISBN 9789390605118 ● Rozmiar pliku 1.1 MB ● Wydawca Prabhakar Prakshan ● Opublikowany 2024 ● Do pobrania 24 miesięcy ● Waluta EUR ● ID 10224402 ● Ochrona przed kopiowaniem Adobe DRM
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