मेरी नौका ने स्नान-घाट की टूटी-फूटी सीढ़ियों के समीप लंगर डाला। सूर्यास्त हो चुका था। नाविक नौका के तख्ते पर ही मगरिब (सूर्यास्त) की नमाज अदा करने लगा। प्रत्येक सजदे के पश्चात् उसकी काली छाया सिंदूरी आकाश के नीचे एक चमक के समान खिंच जाती।
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Language Hindi ● Format EPUB ● Pages 33 ● ISBN 6610000018208 ● File size 0.2 MB ● Publisher Sai ePublications ● Country US ● Published 2017 ● Downloadable 24 months ● Currency EUR ● ID 7541723 ● Copy protection Adobe DRM
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