वाजिदअली शाह का समय था। लखनऊ विलासिता के रंग में डूबा हुआ था। छोटे-बड़े, गरीब-अमीर सभी विलासिता में डूबे हुए थे। कोई नृत्य और गान की मजलिस सजाता था, तो कोई अफीम की पीनक ही में मजे लेता था। जीवन के प्रत्येक विभाग में आमोद-प्रमोद का प्राधान्य था। शासन-विभाग में, साहित्य-क्षेत्र में, सामाजिक अवस्था में, कला-कौशल में, उद्योग-धंधों में, आहार-व्यवहार में सर्वत्र विलासिता व्याप्त हो रही थी।
Köp den här e-boken och få 1 till GRATIS!
Språk Hindi ● Formatera EPUB ● Sidor 32 ● ISBN 6610000023318 ● Filstorlek 0.3 MB ● Utgivare Sai ePublications ● Land US ● Publicerad 2017 ● Nedladdningsbara 24 månader ● Valuta EUR ● ID 7542007 ● Kopieringsskydd Adobe DRM
Kräver en DRM-kapabel e-läsare