मुंशी प्रेमचंद ने इस नाटक में किसानों के संघर्ष का सजीव चित्रण किया है। इस नाटक में लेखक ने पाठकों का ध्यान किसान की उन कुरीतियों और फिजूल-खर्चियों की ओर दिलाने की कोशिश की है जिसके कारण वह सदा कर्जे के बोझ से दबा रहता है। और जमींदार और साहूकार से लिए गए कर्जे का सूद चुकाने के लिए उसे अपनी फसल मजबूर होकर औने-पौने दाम में बेचनी पड़ती है।
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ภาษา ภาษาฮินดี ● รูป EPUB ● ISBN 9789354621437 ● ขนาดไฟล์ 0.4 MB ● สำนักพิมพ์ True Sign Publishing House ● การตีพิมพ์ 2023 ● ที่สามารถดาวน์โหลดได้ 24 เดือน ● เงินตรา EUR ● ID 9024230 ● ป้องกันการคัดลอก Adobe DRM
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