जोखू ने लोटा मुँह से लगाया तो पानी में सख्त बदबू आयी । गंगी से बोला- यह कैसा पानी है ? मारे बास के पिया नहीं जाता । गला सूखा जा रहा है और तू सड़ा पानी पिलाये देती है !
गंगी प्रतिदिन शाम पानी भर लिया करती थी । कुआँ दूर था, बार-बार जाना मुश्किल था । कल वह पानी लायी, तो उसमें बू बिलकुल न थी, आज पानी में बदबू कैसी ! लोटा नाक से लगाया, तो सचमुच बदबू थी । जरुर कोई जानवर कुएँ में गिरकर मर गया होगा, मगर दूसरा पानी आवे कहाँ से?
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Dil Hintçe ● Biçim EPUB ● Sayfalar 18 ● ISBN 6610000028146 ● Dosya boyutu 0.3 MB ● Yayımcı Sai ePublications ● Ülke US ● Yayınlanan 2017 ● İndirilebilir 24 aylar ● Döviz EUR ● Kimlik 7542027 ● Kopya koruma olmadan