हमारे शिक्षालयों में नर्मी को घुसने ही नहीं दिया जाता। वहां स्थायी रूप से मार्शल-लॉ का व्यवहार होता है। कचहरी में पैसे का राज है, हमारे स्कूलों में भी पैसे का राज है, उससे कहीं कठोर, कहीं निर्दय। देर में आइए तो जुर्माना, न आइए तो जुर्माना, सबक़ न याद हो तो जुर्माना, किताबें न खरीद सकिए तो जुर्माना, कोई अपराध हो जाए तो जुर्माना, शिक्षालय क्या है, जुर्मानालय है। यही हमारी पश्चिमी शिक्षा का आदर्श है, जिसकी तारीफों के पुल बांधे जाते हैं। यदि ऐसे शिक्षालयों से पैसे पर जान देने वाले, पैसे के लिए गरीबों का गला काटने वाले, पैसे के लिए अपनी आत्मा बेच देने वाले छात्र निकलते हैं, तो आश्चर्य क्या है?
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Langue Anglais ● Format EPUB ● Pages 391 ● ISBN 9789389851564 ● Taille du fichier 0.8 MB ● Maison d’édition Prabhakar Prakshan ● Publié 2024 ● Téléchargeable 24 mois ● Devise EUR ● ID 10224383 ● Protection contre la copie Adobe DRM
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