Premchand 
Do Sakhiyan Aur Prem Ka Uday [EPUB ebook] 

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जब से यहाँ आयी हूँ, तुम्हारी याद सताती रहती है। काश! तुम कुछ दिनों के लिए यहाँ चली आतीं, तो कितनी बहार रहती। मैं तुम्हें अपने विनोद से मिलाती। क्या यह सम्भव नहीं है ? तुम्हारे माता-पिता क्या तुम्हें इतनी आजादी भी न देंगे ? मुझे तो आश्चर्य यही है कि बेड़ियाँ पहनकर तुम कैसे रह सकती हो! मैं तो इस तरह घण्टे-भर भी नहीं रह सकती।

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语言 印地语 ● 格式 EPUB ● 网页 77 ● ISBN 6610000027729 ● 文件大小 0.3 MB ● 出版者 Sai ePublications ● 国家 US ● 发布时间 2017 ● 下载 24 个月 ● 货币 EUR ● ID 7542026 ● 复制保护

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